भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव गौड़ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavit...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शिव गौड़
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>खुशियों के फव्वारे हैं जी,
पापा मेरे प्यारे हैं।
करते तो हैं मुझसे प्यार
रोज़ न पर लाते उपहार,
रखें छोटी-छोटी मूँछ
बातें करते हैं दमदार।
जब रूठें तो गाल फुलाकर
हो जाते गुब्बारे हैं।
क़िस्से ख़ूब सुनाते हैं
खुद हीरो बन जाते हैं,
परीलोक ले जाते हैं
जमकर सैर कराते हैं।
खेल-तमाशा, हल्ला-गुल्ला
जादू भरे पिटारे हैं।
हम पर रौब जमाते हैं
गुस्सा जब हो जाते हैं,
पर मम्मी की बात अलग
मम्मी से घबराते हैं।
वो दादी को लगते प्यारे
उनके राजदुलारे हैं!
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=शिव गौड़
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>खुशियों के फव्वारे हैं जी,
पापा मेरे प्यारे हैं।
करते तो हैं मुझसे प्यार
रोज़ न पर लाते उपहार,
रखें छोटी-छोटी मूँछ
बातें करते हैं दमदार।
जब रूठें तो गाल फुलाकर
हो जाते गुब्बारे हैं।
क़िस्से ख़ूब सुनाते हैं
खुद हीरो बन जाते हैं,
परीलोक ले जाते हैं
जमकर सैर कराते हैं।
खेल-तमाशा, हल्ला-गुल्ला
जादू भरे पिटारे हैं।
हम पर रौब जमाते हैं
गुस्सा जब हो जाते हैं,
पर मम्मी की बात अलग
मम्मी से घबराते हैं।
वो दादी को लगते प्यारे
उनके राजदुलारे हैं!
</poem>