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सौ हाथी नाचें / श्रीप्रसाद

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<poem>सौ हाथी यदि नाच दिखाएँ
यह हो कितना अच्छा,
नाच देखने को आएगा
तब तो बच्चा-बच्चा
धम्मक - धम्मक पाँव उठेंगे
सूँडें झम्मक - झम्मक
उछल - उछल हाथी नाचेंगे
छम्मक - छम्मक - छम्मक।
जो देखेगा हँसते-हँसते
पेट फूल जाएगा,
देख-देख करके सौ हाथी
बड़ा मज़ा आएगा।
ऐसा नाच कहीं भी जो हो
उसे देखने जाऊँ,
ढम्म-ढमाढम ढोल बजाऊँ
और गीत भी गाऊँ।
जब भी सौ हाथी आएँगे
होगा नाच तभी ये,
मगर देख पाऊँगा क्या मैं
सुंदर नाच कभी ये?
</poem>
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