भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार='क़ैसर'-उल जाफ़री |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार='क़ैसर'-उल जाफ़री
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>मुसाफ़िरों का कभी ए'तिबार मत करना
जहाँ कहा था वहाँ इंतिज़ार मत करना

मैं नींद हूँ मिरी हद है तुम्हारी पलकों तक
बदन जला के मिरा इंतिज़ार मत करना

मैं बच गया हूँ मगर सारे ख़्वाब डूब गए
मिरी तरह भी समुंदर को पार मत करना

बहा लो अपने शहीदों की क़ब्र पर आँसू
मगर ये हुक्म है कतबे शुमार मत करना

हवा अज़ीज़ है लेकिन ये उस की ज़िद क्या है
तुम अपने घर के चरागों को प्यार मत करना

ये वक़्त बंद दरीचों पे लिखा गया 'क़ैसर'
मैं जा रहा हूँ मिरा इंतिज़ार मत करना

</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits