भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
देखए नगरक दृश्य अनूप,
बनल जेना छल स्वर्ग स्वरूप।
झंुड झुंड बालकक धयलक संग,
छवि विलोकि जनु कोटि अनंग।
जेम्हर जाथि तेम्हररूक नरनारि,
देथि बाटकें झारी बहारि।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,887
edits