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{{KKRachna
|रचनाकार=संजय पुरोहित
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{{KKCatKavita‎}}<poem>उदास चांद
मायूस सितारे
मुरझाई कलियां
बेसुध गुलाब
गुलिस्तां भी खामोश
पाखी मौन
ठहरी सी झील
शिथिल बयार
और .....
और प्रतीक्षारत
मैं
देखा !
तुम्हारा न होना
ले आता है
सितम कितने
आ भी जाओ
अब
चांद-सितारों के लिये
कलियों, गुलाब, गुलिस्तां के लिये
पाखी, झील और बयार के लिये
और
मेरे लिये
</poem>
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