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|रचनाकार=राग तेलंग
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}}
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<poem>मोह कैसा भी हो
वह बना प्लास्टिक का ही होता है
प्लास्टिक के होने से भी पहले
यह सत्य जानते थे हमारे पुरखे
पुरखों के त्याग को
जाने-समझे बगैर
मुश्किल है
मोह से मुक्ति
प्लास्टिक से फिर मोह कैसा !
प्लास्टिक का मोह त्यागो
जितनी जल्दी हो सके ।
</poem>
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वह बना प्लास्टिक का ही होता है
प्लास्टिक के होने से भी पहले
यह सत्य जानते थे हमारे पुरखे
पुरखों के त्याग को
जाने-समझे बगैर
मुश्किल है
मोह से मुक्ति
प्लास्टिक से फिर मोह कैसा !
प्लास्टिक का मोह त्यागो
जितनी जल्दी हो सके ।
</poem>