भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गोठ बिछनी / यात्री

1,354 bytes added, 12:43, 13 जनवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यात्री |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMaithiliRachn...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=यात्री
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>बीछि रहल छैं बंगोइठा तों
घूमि घामि कएँ बाध-बोनमे
पथिआ नेने भेल फिरई छैं
तिनू खूट, चारिओ कोनमे
मैल पुरान पचहथ्थी नूआ
सेहो फाटल चेफड़ी लागल
देहक रङ जमुनिआ, तइपर
मुँह माइक गोटीसँ दागल

बगड़ा जेना लगाबाए खोंता
तेहने रुच्छ केस छउ तोहर
दू छर हारी मात्र गराँमे
केहने विचित्र भेस छउ तोहर

माघक ठार, रौद बैसाखक
तोरा लेखे बड़नी' धन सन
दीन बालिके अजगुत लागए
केहेन कठिन छउ तोहर जीवन

कने ठाढ़ी हो, सुन कहने जो
नाम की थिकउ, कतए रहइ छैं
बीतभरिक भए कोन बेगतें
एते कष्ट आ दुक्ख सहई छैं</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits