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|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=युगमंगलस्तोत्र / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
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<poem>
हरि गावते तान रसाल खरे, वै नचावति नैनन चित्त हरैं।
इत ई मुरली धुनि पूरि रहैं-कहो ताकि कहाँ उपमा ठहरैं॥
इत भौंह सों बद्रीनरायन जू वे बताय कै देत कड़ी कहरैं।
नित ऐसे सनेह सों राधिका श्याम हमारे हिये में सदा विहरैं॥
</poem>
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