भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आनन चन्द अमन्द लखे, चकि होत चकोरन से ललचो हैं।
त्यों निरखे नवकंज कली कुच, मत्त मलिन्दन लों मन मोहैं॥
सो छबि छेम करै बृज स्वामिनि, दामिनि सी दुति जा तन जोहैं।
चातक लौं घन प्रेम भरे, घनस्याम लहे घनस्याम से सोहैं॥
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आनन चन्द अमन्द लखे, चकि होत चकोरन से ललचो हैं।
त्यों निरखे नवकंज कली कुच, मत्त मलिन्दन लों मन मोहैं॥
सो छबि छेम करै बृज स्वामिनि, दामिनि सी दुति जा तन जोहैं।
चातक लौं घन प्रेम भरे, घनस्याम लहे घनस्याम से सोहैं॥
</poem>