भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
/* किस्सा जगदेव बीरमती */
* [[के पाछै तै डूबा पड़गो होग्या मूंह काळा / मेहर सिंह]]
* [[बेईमान तेरी बदमाशी का सब निर्णय हो ज्यागा / मेहर सिंह]]
* [[सिर तवाई पिता छोड़ डिगरग्या, आज मां भी मरगी / मेहर सिंह]]