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{{KKRachna
|रचनाकार= कुँवर दिनेश
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
1
सपना कोई
चंदा की सूरत में
अपना कोई ।
2
छैल चिनार
रंग बदल रहा
ऋतु विचार ।
3
अकेला पेड़
घर की दीवार से
सटा है पेड़ ।
4
बर्फ़ के फाहे
आसमानी नेमत
मन सराहे ।
5
रुत फाल्गुनी
धरा की जिजीविषा
बढ़ी चौगुनी ।
6
राह एकांत
पथिक को जोहती
हुई अशान्त ।
7
समता– भरी
आकाश की आँखें हैं
ममता –भरी ।
8
कोहरा छाए
स्वागत में आकाश
बाहें फैलाए ।
9
आती है पौन
दर को खटकाती
रहती मौन ।
10
नार अकेली
छेड़ती बार -बार
हवा सहेली ।
11
डगर सूनी
जी बहलाने आई
हवा बातूनी ।
</poem>
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|रचनाकार= कुँवर दिनेश
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
1
सपना कोई
चंदा की सूरत में
अपना कोई ।
2
छैल चिनार
रंग बदल रहा
ऋतु विचार ।
3
अकेला पेड़
घर की दीवार से
सटा है पेड़ ।
4
बर्फ़ के फाहे
आसमानी नेमत
मन सराहे ।
5
रुत फाल्गुनी
धरा की जिजीविषा
बढ़ी चौगुनी ।
6
राह एकांत
पथिक को जोहती
हुई अशान्त ।
7
समता– भरी
आकाश की आँखें हैं
ममता –भरी ।
8
कोहरा छाए
स्वागत में आकाश
बाहें फैलाए ।
9
आती है पौन
दर को खटकाती
रहती मौन ।
10
नार अकेली
छेड़ती बार -बार
हवा सहेली ।
11
डगर सूनी
जी बहलाने आई
हवा बातूनी ।
</poem>