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/* ग़ज़ल */
* [[कोई मौक़ा नहीं मिलता हमें अब मुस्कुराने का / आलम खुर्शीद]]
* [[क्या अँधेरों से वही हाथ मिलाए हुए हैं / आलम खुर्शीद]]
* [[क्यों आँखें बंद कर के रस्ते में चल रहा हूँ / आलम खुर्शीद]]
* [[ख़बर सच्ची नहीं लगती नए मौसम के आने की / आलम खुर्शीद]]
* [[उठाए संग खड़े हैं सभी समर के लिए / आलम खुर्शीद]]
* [[जब खुली आँखें तो इन आँखों को रोना आ गया / आलम खुर्शीद]]
* [[मानूस कुछ ज़रूर है इस जलतरंग में / आलम खुर्शीद]]