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उनमें से किसी एक को <br>
अभी हमीं में से कोई खा जाएगा, <br>
जल्दी से पैसे चुकाएगा-- चुकाएगा— <br>
चला जाएगा। <br> <br>
बिना किसी जल्दी के समेटेगा, जेब में सरकाएगा <br>
दाम देगा नहीं, वसूलेगा <br>
और फिर हम सब को--एक-एक को-को—एक-एक को—एक साथ <br>
और बड़े इत्मीनान से धीरे-धीरे खाएगा <br>
खाता चला जाएगा, <br>
स्वयं खाई जाती हैं। <br><br>
ज़िन्दगी के रेस्त्राँ रेश्त्राँ में यही आपसदारी है <br>रिश्ता<!-नाता -- मूल किताब में रेश्त्राँ लिखा है, रेस्त्राँ नहीं-- ->रिश्ता-नाता है— <br>
कि कौन किस को खाता है।
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