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|रचनाकार=विष्णु नागर
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(१)
दिल्ली का लुटेरा था अखिल भारतीय था
फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता था
लुटनेवाला चूँकि बाहर से आया था
इसलिए फर्राटेदार हिंदी भी नहीं बोलता था
लुटेरे को निर्दोष साबित होना ही था
लुटनेवाले ने उस दिन ईश्वर से सिर्फ एक ही प्रार्थना की कि
भगवान मेरे बच्चों को इस दिल्ली में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलनेवाला जरूर बनाए
(१)<br>और ईश्वर ने उसके बच्चों को तो नहींमगर उसके बच्चों के बच्चों को जरूर इस योग्य बना दिया।
दिल्ली का लुटेरा था अखिल भारतीय था<br>(२)फर्राटेदार अंग्रेजी बोलता था<br>लूट के इतने तरीके हैंलुटनेवाला चूँकि बाहर से आया था<br>और इतने ईजाद होते जा रहे हैंइसलिए फर्राटेदार हिंदी भी नहीं बोलता था<br>लुटेरे को निर्दोष साबित होना ही था<br>लुटनेवाले ने उस दिन ईश्वर से सिर्फ एक ही प्रार्थना कि लुटेरों की कई जातियाँ और संप्रदाय बन गए हैंलेकिन इनमें इतना सौमनस्य है कि<br>भगवान मेरे बच्चों को इस दिल्ली में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलनेवाला जरूर बनाए<br><br>लुटनेवाला भी चाहने लगता है कि किसी दिन वह भी लुटेरा बन कर दिखाएगा।
और ईश्वर ने उसके बच्चों को तो नहीं<br>(३)मगर उसके बच्चों के बच्चों लूट का धंधा इतना संस्थागत हो चुका हैकि लूटनेवाले को जरूर इस योग्य बना दिया।<br><br>शिकायत तभी होती हैजब लुटेरा चाकू तान कर सुनसान रस्ते पर खड़ा हो जाएवरना वह लुट कर चला आता हैऔर एक कप चाय लेकर टी.वी. देखते हुएअपनी थकान उतारता है।
(२४)<br>जरूरी नहीं कि जो लुट रहा होवह लुटेरा न होहर लुटेरा यह अच्छी तरह जानता है कि लूट का लाइसेंस सिर्फ उसे नहीं मिला हैसबको अपने-अपने ठीये पर लूटने का हक हैइस स्थिति में लुटनेवाला अपने लुटेरे से सिर्फ यह सीखने की कोशिश करता है किक्या इसने लूटने का कोई तरीका ईजाद कर लिया है जिसकी नकल की जा सकती है।
लूट के इतने तरीके (५)आजकल लुटेरे आमंत्रित करते है किहम लुट रहे हैं<br>आओ हमें लूटोफलां जगह फलां दिन फलां समयऔर इतने ईजाद होते जा रहे लुटेरों को भी लूटने चले आते हैं<br>ठट्ठ के ठट्ठ लोगलुटेरे खुश हैं कि लुटेरों लूटने की कई जातियाँ और संप्रदाय बन यह तरकीब सफल रहीलूटनेवाले खुश हैं कि लुटेरे कितने मजबूर कर दिए गए हैं<br>लेकिन इनमें इतना सौमनस्य है कि<br>लुटनेवाला भी चाहने लगता है कि किसी दिन वह भी लुटेरा बन वे बुलाते हैं और हम लूट कर दिखाएगा।<br><br>सुरक्षित घर चले आते हैं।
(३)<br> लूट का धंधा इतना संस्थागत हो चुका है<br>कि लूटनेवाले को शिकायत तभी होती है<br>जब लुटेरा चाकू तान कर सुनसान रस्ते पर खड़ा हो जाए<br>वरना वह लुट कर चला आता है<br>और एक कप चाय लेकर टी.वी. देखते हुए<br>अपनी थकान उतारता है।<br><br> (४)<br> जरूरी नहीं कि जो लुट रहा हो<br>वह लुटेरा न हो<br>हर लुटेरा यह अच्छी तरह जानता है कि लूट का लाइसेंस सिर्फ उसे नहीं मिला है<br>सबको अपने-अपने ठीये पर लूटने का हक है<br>इस स्थिति में लुटनेवाला अपने लुटेरे से सिर्फ यह सीखने की कोशिश करता है कि<br>क्या इसने लूटने का कोई तरीका ईजाद कर लिया है जिसकी नकल की जा सकती है।<br><br> (५)<br> आजकल लुटेरे आमंत्रित करते है कि<br>हम लुट रहे हैं आओ हमें लूटो<br>फलां जगह फलां दिन फलां समय<br>और लुटेरों को भी लूटने चले आते हैं<br>ठट्ठ के ठट्ठ लोग<br>लुटेरे खुश हैं कि लूटने की यह तरकीब सफल रही<br>लूटनेवाले खुश हैं कि लुटेरे कितने मजबूर कर दिए गए हैं<br>कि वे बुलाते हैं और हम लूट कर सुरक्षित घर चले आते हैं।<br><br> (6)<br> होते-होते एक दिन इतने लुटेरे हो गए कि<br>फी लुटेरा एक ही लूटनेवाला बचा<br>और ये लुटनेवाले पहले ही इतने लुट चुके थे कि<br>खबरें आने लगीं कि लुटेरे आत्महत्या कर रहे हैं<br>इस पर इतने आँसू बहाए गए कि लुटनेवाले भी रोने लगे<br>
जिससे इतनी गीली हो गई धरती कि हमेशा के लिए दलदली हो गई।
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