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गुंग महल / विष्णु खरे

No change in size, 17:42, 28 फ़रवरी 2008
बादशाह ने तब उनसे तुर्की दक़नी उर्दू ब्रज कौरवी सबमें कहा बोलने को<br>
पचास दरबारी और ज़ुबोनों ज़ुबानों में इसरार करते रहे उनसे<br>
अब बच्चों की आँखें निकल आई थीं<br>
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