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महलों के छज्जे छज्जे पर, ताख झरोखे में बोले, तोते और कबूतर कोयल, मधुर मधुर हौले हौले | थी नगर गली सड़कें सुन्दर, सब जन के मन चित चाव रहा, गुलाब जल सब जगह सुगंधित, चन्दन का छिड़काव रहा |