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कहीं हो रहा हरि कीर्तन,
कृष्ण कृष्ण गुण गाते थे,
कहीं देवता ब्राह्मण पण्डित,
गीता का रहस्य सुनते थे |
कहीं वेद ध्वनि सुन पड़ती थी,
कहीं मनहर साज सजाते थे,कहीं भक्त जय बोल बोलकर,आनन्द उर न समाते थे |
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