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{{KKRachna
|रचनाकार=शरद कोकास
|संग्रह=गुनगुनी धूप में बैठकर / शरद कोकास
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आलोकित होने का दम्भ लिए
उनकी मुठ्ठी में बन्द
सूरज की उपस्थिति से बेख़बर है ।है।
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