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बिजली / एकांत श्रीवास्तव

27 bytes removed, 17:34, 5 जुलाई 2016
|रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव
}}
<poem>बिजली गिरती है<br>और एक हरा पेड़ काला पड़ जाता है<br>फिर उस पर न पक्षी उतरते हैं<br>वसंत<br>वसन्तएक दिन एक बढ़ई उसे काटता है<br>और बैलगाड़ी के पहिये में<br>बदल देता है<br>दुख जब बिजली की तरह गिरता है<br>तब राख कर देता है<br>या देता है नया एक जन्म।<br><br/poem>
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