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Kavita Kosh से
तन्हा कैसे कटेगी रात कहो
पास बैठो कभी तो पहलू में
कुछ हमारी कुछ अपनी बात कहो
हो गया होगा रो के दिल हल्का
ग़म से भी क्या मिल गयी नजात कहो
ज़िन्दगी में कहाँ सुकूने-दिल
मौत को राहते-हयात कहो
ख़ाक जलकर हासिद हुआ है कौन जल के 'रक़ीब'
किसने खाई है किससे मात कहो
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