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Kavita Kosh से
ज्यादा मत चाहो,<br>
पूरा अस्तित्व ही<br>
खतरे में पड. पड़ जाता हॆ ।<br><br>
खोकर अपनी पहचान ,<br>
आदमी न जी पाता है ,<br>
न मर पाता है ।<br>
पूरा अस्तित्व ही<br>
खतरे में पड. पड़ जाता है॥<br><br>
किसी से प्रेम इतना न करो <br>
कि वो विवशता क का रूप ले ले,<br>
क्योंकि विवशता को ढोने में ,<br>
जीवन व्यर्थ चला जाता है ।<br>
पूरा अस्तित्व ही<br>
खतरे में पड. पड़ जाता है॥<br><br>
प्रेम जीवन के लिये है अनिवार्य,<br>
किन्तु वह जीवन का लक्ष्य नहीं,<br>
कुछ हाथ नही आता है?<br>
पूरा अस्तित्व ही<br>
खतरे में पड. पड़ जाता है॥<br><br>
जिन्दगी सिर्फ़ प्रेम से चल सकती नहीं,<br>
जिन्दगी एक हीबिन्दु ही बिन्दु पर रुक सकती नहीं,<br>
किन्तु प्रेम की अनुभूति से -<br>
जीवन संभल -संवर जाता है।<br>
पूरा अस्तित्व ही<br>
खतरे में पड. पड़ जाता है॥<br><br>
१९८७ में रचित <br>
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