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Kavita Kosh से
मैं काठ बन जाऊँगा
मुझसे कहिए न त्याग
मैं मिट्टी हो जाऊंगा जाऊँगा
मगर मुझसे मत कहिएगा हँसो
मैं रो भी नहीं पाऊँगा