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दोस्तों ने डाल दी कबाक़बा-ए-ख़ार , हाय रेज़िन्दगी-सराय में कमाल कम नहीं हुआ I
इस तरह लगाव था कि सिर कटे को देखकर
धड़ पकड़ लिया गया उछाल कम नहीं हुआ I
सोचते रहे निज़ात किस तरह मिले मग़रमगरदिन-ब-दिन बढ़ा किया ये जाल कम नहीं हुआ
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