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टे बांदर / इंदिरा वासवाणी

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मसाण ॾांहुं धूकीन्दा थे विया
हिन जो नालो अहिंसा आहे। (बुरा मत सुनो)
 
वजूद मुंहिंजे खे
 
टुकरा करे
रिश्तनि
सुख जो साहु खंयो।
 
ज़िन्दगी ॿरी ॿरी
 
रख जो ढेरु थी पेई
रिश्तनि उन ते हथ सेके
धधि खां पाणु बचायो। (बुरा मत कहो)
 
</poem>