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हरिओम पंवार जी की कविता जोड़ी
तीखे शब्दों की तलवार लिये फिरता हूँ वाणी मे
इसीलिए केवल अंगार लिये फिरता हूँ वाणी में ।
 
हर संकट का हल मत पूछो, आसमान के तारों से
सूरज किरणें नहीं मांगता नभ के चाँद-सितारों से
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