भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
:स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,
:मानों '''झीम ''' रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥ '''( झीम= झपकी लेना)'''
पंचवटी की छाया में है, सुन्दर पर्ण-कुटीर बना,