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|रचनाकार=लक्ष्मण मस्तुरिया
|संग्रह=
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झुमर झामें मन मंदरिहा
सगरो जमाना राजा नाच माते
ऐ लहर मारे लहर बुंदियाँ
सगरो जमाना गोरी झाम डारे
जगर बगर रूप सरग परी के समान
काया माया भारी हाबय उमर हे नादान
जोहत रहिगे राम
ठारे तरैया पार भागवाले
ऐ लहर मारे लहर बुंदियाँ
सगरो जमाना गोरी झाम डारे
धिक् दिन गा मंदार बाजे
करमा के पार राजा करमा के पार
छमक छईया नाचव
झुमर झटका झंकार राजा झटका झंकार
जोहत रहिगे राम
ठारे तरैया पार भागवाले
ऐ लहर मारे लहर बुंदियाँ
सगरो जमाना गोरी झाम डारे
</poem>
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झुमर झामें मन मंदरिहा
सगरो जमाना राजा नाच माते
ऐ लहर मारे लहर बुंदियाँ
सगरो जमाना गोरी झाम डारे
जगर बगर रूप सरग परी के समान
काया माया भारी हाबय उमर हे नादान
जोहत रहिगे राम
ठारे तरैया पार भागवाले
ऐ लहर मारे लहर बुंदियाँ
सगरो जमाना गोरी झाम डारे
धिक् दिन गा मंदार बाजे
करमा के पार राजा करमा के पार
छमक छईया नाचव
झुमर झटका झंकार राजा झटका झंकार
जोहत रहिगे राम
ठारे तरैया पार भागवाले
ऐ लहर मारे लहर बुंदियाँ
सगरो जमाना गोरी झाम डारे
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