भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
कविता सूई नहीं
जो पूरे मकान में
लालटेन लेकर ढूँढें
यह मिट्टी
अलग - अलग रंग में
लोगों को जोड़ती है
 
आग में तपे
तो ईंट
पानी में गले
तो गारा
 
और काटने पर उतरे
तो आरा
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits