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Kavita Kosh से
जो-जो लिखा त्रिलोचन ने वो याद करो
आम आदमी की अब पहले बात करो
महल छोड़कर कविता कुटियों में पहँुचीपहुँची
राजमार्ग से चलकर गलियों में पहुँची।