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ओमन ला छुट्टी मिल गिस तंह, लकर धकर बाहिर मं अैपनपल्टन हा बुलुवा ला बोलिस – “हमर आज माछी अस हाल।माछी खोजत रथय घाव ला, अमरा के पावत संतोषहम्मन मन माफिक अमरे हन, विजयी होय बड़े जक होड़।विस्तृत तर्क हमर तिर नइये, मुंह हा देतिस गलत निकालमगर हमर बूड़त डोंगा ला, खुद कण्टक हा लीस सम्हाल।”न्यायालय मं रुके हे मेहरु, उहां के जांचत हे सच हालसुने रिहिस जे तथ्य पूर्व मं, सच उतरत हे आधच गोठ।मेहरुपहुंचिस अजम के तिर मं, मुजरिम मन के इही वकीलमेहरुकिहिस – “सुनत आवत हन, तेन बात पर ठुंक गिस कील।जब गवाह मन हाजिर होइन, गीता के किरिया नइ खैनना “मी लार्ड’ किहिन अधिवक्ता, अउ ना बोम फार चिल्लैन।अनुभव होवत हवय जेन अभि पहिली कहां उवाटी।लुलसा ला चढ़ जथय चेत जब परत कोड़ना माटी।अजम हा मुच मुच मुसका बोलिस -”अइसन दृष्य फिल्म के आयदर्शक हा आकर्षित होथय, तब निर्माता झोरत नोट।मगर इहां के कथा अउर कुछ – इहां होत कारज गंभीरप्रकरण ला सुलझाय सोझ बर, तर्क रखत हें सोच विचार।न्यायाधीष के बदली होथय, तब आथय नव न्यायाधीषएकर बारे प्रश्न उछलथय – कोन किसम हे एकर न्याय!सुनत निवेदन या दुत्कारत, शांति बुद्धि या उग्र स्वभावअक्सर कड़ा दण्ड ला देथय, या फिर दोष ले करत अजाद?एकर अर्थ जान अब अइसन – न्यायाधीष पर हे सब न्यायमुजरिम ला बेदाग छोड़ दे, या दे सकत दण्ड ला धांय।पर अइसन कभुकाल मं होथय, अक्सर होत तउन ला जान –धारा साक्ष्य नियम अउ स्थिति, निर्णय देत इहिच अनुसार।हमर बिखेद ला घलो सुनव तुम – हम वकील मन हन बदनाम –पक्षकार ले रुपिया खाथंय, देखत रथंय स्वयंके स्वार्थ।सच मं हम वकील मन स्वार्थी, एकर साथ एदे अउ गोठ –पक्षकार हा जीत जाय कहि, हम्मन करथन अथक प्रयास।पक्षकार यदि विजयी होवत, हम्मन खुशी होत भरपूरअगर हार जावत हे ओहर, तब हम होवत मरे समान।”मुजरिम मन ला अजम हा बोलिस – “अब जब तुम न्यायालय आवधीर बुद्धि निर्भीक निघरघट, तइसन साक्षी धर के लाव।कण्टक अभिभाषक हा ओला, अटपट पूछ डिगाहय राहओकर सम्मुख जउन हा ठहरय, ओला लान लगा के थाह।”तब घुरुवा हा अजम ला बोलिस – “हमर गवाह हवंय हुसियारउंकर नाम बल्ला अउ मालिक, ओमन कभू खांय नइ हार।”अजम वकील ओ तिर ला छोड़िस, इंकर पास खेदू हा अै सओहर हा निÏश्चत लगत अउ, मुंह के रंगत चमकत तेज।खेदू ला बीरसिंग हा बोलिस – “तंय हस खूब निघरघट जीवतोर विरुद्ध चलत हे प्रकरण, तब ले बघवा असन निफिक्र।लगथय – तोर हाथ मं निर्णय, न्याय के दिश ला सकत किंजारतोर विजय जब ध्रुव अस निश्चित, फोर भला तंय एकर भेद?”खेदू एल्हिस -”तुम देहाती, जानव नइ अंदर के पोलश्रम ला बजा अन्न उपजाथव, पर नइ पाव उचित खाद्यान्न।शासन हा इनाम कई बांटत – भारत रत्न शिखर सम्मानपर ग्रामीण के हाथ हा रीता, भाग गे मछरी जांग समान।देश विदेश उच्च पद कतको, अधिकारी के पद ला पातमगर गांव के शिक्षित मन हा, कहां उच्च पद पावत झींक!देश के भक्त – समाज के सेवक, गांव मं होवत कई इंसानपर ओमन विख्यात होंय नइ, डूब जात उनकर यश नाम।”खेदू हा नंगत झोरिया दिस, लागिस बात हा जहर समानमगर सत्य ला कोन हा काटय, सच के सदा मान सम्मान।खेदू हा फिर बात बढ़ाइस -”पूछत हव प्रकरण ला मोरमोला जेन पलोंदी देवत, शासन पर हे ओकर धाक।हांका पार कहत हंव मंय हा – निर्णय मं होहंव निर्दाेषपर एकर बर समय मंगत हंव, तंहने पूर्ण जनार्दन गोठ।छेरकू मंत्री जउन हा धारन, गुप्त रखत हंव ओकर नामखभर समान्य होत जग जहरित, लेकिन छुपत खभर संगीन।”खेदू हंसत उहां ले हटथय, तभे बहल कवि ओ तिर अैमसबोलिस – “हम ग्रामीण दुनों झन, तंय कवि अस – मंय तक कवि आंव।रहन सहन अउ काम एक अस, तब मंय करत तोर पर आसमुड़ी मिला के बात करन अउ, मन के भेद ला बाहिर लान।”मेहरुमुसका प्रश्न उछालिस – “तोर बात के अंदर राजखभर विशेष लुका राखे हस, हां अब बता हृदय के बात?”बोलिस बहल -”जान ले तंय हा – इहां विश्वविद्यालय खासउहां बहुत झन लेखक आहंय, लेखक सम्मेलन हे खास।आत रायगढ़ ले छन्नू हा, बिलासपुर के आत बिटानआत रायपुर ले दानी हा, जगदलपुर ले सातो आत।आत अम्बिकापुर ले मिलापा, दुर्ग ले परसादी हा आतनंदगंइहा बइसाखू आवत, सन्तू ढेला तंय मंय और।महासचिव – अध्यक्ष चुने बर, लेखक संघ के बीच चुनावहम तुम घलो उदीम उचाबो, ताकि पान हम पद एकाध।”मेहरुकथय -”ठीक बोलत हंस, अब तंय बता स्वयं के हालरचना काम चलत हे बढ़िया, सरलग चलत लेख के काम?“हव मंय लेख चलावत सरलग, एकर संग अउ एक विचार –मंय हा शहर रायपुर जावंव, उहां करंव साहित्य के काम।आकाशवाणी अउ दूरदर्शन, दुनों केन्द्र मं हाजिर होंवरचना ला प्रमाण मं राखंव, सब कोती करवांव प्रचार।”
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