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Kavita Kosh से
फोेकट बात करइया मनखे करत हे नास अपने काम।
गहूं के संग मं कीरा मरथे,पर ल रगर करत जय राम।
कामचोर मन बात बात मं जल मं खोजत रहिथे दही।
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं।
काम करे बिन काम हा बनतिस तब काबर करतिन सब काम।
खटिया सुत के गावत रहितिन,जय जय आलसीराम के नाम।
आलस खेती भलुवा खोथे-सच के झूठा बता तिहीं।
पड़र पड़र मुंह ला मारे मं काम अब ले बनिस नहीं।