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{{KKRachna
|रचनाकार=अरुण कुमार निगम
|संग्रह=छन्द के छ / अरुण कुमार निगम
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सुध-बुध बिसरा के, मूड़ नवा के, जनहित बर जे, काम करै,
सहि पीर पराई, करै भलाई, अमर अपन वो, नाम करै।
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