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Kavita Kosh से
वे तुम्हें ऐसे नहीं मारते...
बचा लेते हैं ढहने से
किसी चमत्कार की तरह...
कि तुम इन हत्यारों में ही
अलौकिक कोई शक्ति
तुम्हारी जर्जरित सांसों के
किसी प्राच्य देवता की तरह...
कि तुम्हारी अंतिम सांस के
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