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Kavita Kosh से
* [[आँख खुली घेरती सलाखें हमको मिलीं / विजय किशोर मानव]]
* [[ग़ुम लिफ़ाफ़ों की तरह शहर-दर-शहर फिरना / विजय किशोर मानव]]
* [[लाख बहाने हैं जीने के, लाख बहाने मरने के / विजय किशोर मानव]]
* [[फ़्रेमों में जड़ी हँसी / विजय किशोर मानव]]
* [[झूठा चांद, सितारे झूठे / विजय किशोर मानव]]
* [[रोशनी के सताए हुए हैं / विजय किशोर मानव]]
* [[सुलग के दिल में बुझे जाते हें हैं / विजय किशोर मानव]]
* [[खंडहर भी नहीं हमारा शहर / विजय किशोर मानव]]
* [[कौन आता है, फ़र्क़ कुछ भी नहीं / विजय किशोर मानव]]
* [[मुँह उनके ख़ून से सने रहना / विजय किशोर मानव]]
* [[अकड़ गई गरदन सर्दी से, कहने को है ऊँचा सर / विजय किशोर मानव]]
* [[आ के वो सर झुका गए यूँ ही / विजय किशोर मानव]]
* [[शहर जले चीख़े आबादी / विजय किशोर मानव]]