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मंगल साज सजे / गुलाब खंडेलवाल

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[[Category:गीत]]
<poem>
मंगल साज सजे
मंगल वीणा मंगल वादक मंगल राग बजे

मंगल भाव भरे अंतर हों
मंगल ध्वनि मंगल अक्षर हों
मंगलमयी वाणी के वर हों कवियों के सिरजे

जग के जन जन का मंगल हो
घर-घर में सुख शांति अमल हो
भू पर बंधु-भाव अविचल हो गगन लाख गरजे

मंगलमय जीवन प्रतिपल हो
उर में श्रद्धा का सम्बल हो
स्वर कितना भी क्षीण, विरल हो तुझको सदा भजे
<poem>
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