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{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=प्रीत न करियो कोय / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category:नज़्म]]
<poem>
'यही प्यार की थी कहानी मेरी
सुना तुमने जिसको ज़बानी मेरी
कहूँ किस तरह का नशा वह रहा
दिया जिसने दुख अनदिखा, अनकहा
कशिश प्यार की मिट न पायी कभी
बढ़ी उम्र के साथ वह और भी
दिया था जिसे दिल के तलघर में दाब
नशीली हुई और भी वह शराब
'कटी साथ उसके जो रातें कभी
खिँची दिल के परदे पे हैं आज भी
कभी प्यार लेना निगाहों से भाँप
कभी बात चलने की, सुनते ही, काँप
पलटकर छिपा लेना आँसू की बूँद
हथेली से देना मेरे होँठ मूँद
कभी मुँह पे घिरना उदासी का रंग
कभी छेड़कर मुस्कुराने का ढंग
वे दिलकश अदायें, हँसी, कहकहे
मुझे आज तक भी हैं तड़पा रहे
करूँ जोग-जप लाख गीता पढूँ
हिमालय की चोटी पे भी जा चढ़ूँ
नहीं इससे बचने का कोई उपाय
ये वह दर्द है, जान लेकर ही जाय
<poem>
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=प्रीत न करियो कोय / गुलाब खंडेलवाल
}}
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<poem>
'यही प्यार की थी कहानी मेरी
सुना तुमने जिसको ज़बानी मेरी
कहूँ किस तरह का नशा वह रहा
दिया जिसने दुख अनदिखा, अनकहा
कशिश प्यार की मिट न पायी कभी
बढ़ी उम्र के साथ वह और भी
दिया था जिसे दिल के तलघर में दाब
नशीली हुई और भी वह शराब
'कटी साथ उसके जो रातें कभी
खिँची दिल के परदे पे हैं आज भी
कभी प्यार लेना निगाहों से भाँप
कभी बात चलने की, सुनते ही, काँप
पलटकर छिपा लेना आँसू की बूँद
हथेली से देना मेरे होँठ मूँद
कभी मुँह पे घिरना उदासी का रंग
कभी छेड़कर मुस्कुराने का ढंग
वे दिलकश अदायें, हँसी, कहकहे
मुझे आज तक भी हैं तड़पा रहे
करूँ जोग-जप लाख गीता पढूँ
हिमालय की चोटी पे भी जा चढ़ूँ
नहीं इससे बचने का कोई उपाय
ये वह दर्द है, जान लेकर ही जाय
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