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Kavita Kosh से
घोर घृणा में, पूत प्यार में,<br>
क्षणिक जीत में, दीघर हार में,<br>
जीवन के शत-शत आकषर्क आकर्षक ,<br>अरमानों को ढलना ढ़लना होगा।<br>
कदम मिलाकर चलना होगा।<br><br>
असफल, सफल समान मनोरथ,<br>
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,<br>
पावस बनकर ढलना ढ़लना होगा।<br>
कदम मिलाकर चलना होगा।<br><br>
कुछ कांटों से सज्जित जीवन,<br>
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,<br>
नीरवता से मुखिरत मुखरित मधुबन,<br>परिहत अपिर्त परहित अर्पित अपना तन-मन,<br>
जीवन को शत-शत आहुति में,<br>
जलना होगा, गलना होगा।<br>
कदम मिलाकर चलना होगा।<br><br>
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