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दौड़तें एैलोॅ, पकड़लकोॅ दामनसांझै रोॅ छै है गति,हँसते हुवें पैलकोॅ माय लेॅ भोजन।मनों में गनै छेलै पलकोॅ में खुशीदामन सें लोॅर पोछलकोॅ झुकी।साजी के सम्हरी केॅ बैठलोॅ,दुन्हूँ ने केकरोॅ लाज नै करलकोॅ।दुन्हूँ के मिललोॅ आपनोॅ-आपनोॅ बरण,बिहानेॅ की होतै छति?दौड़तें एैलोॅहै ते, पकड़लकोॅ दामन।ॅ समय बतैतों।
प्यार, ममता रोॅ माय अवतार,मरी गेलै मकई-मडुआहसतै परै नै छै माय नें बेटा रोॅ कपार।पानी परूआएकें दोसरा-दोसरा केॅ देखै भूखें तड़पै छैबूढ़ोॅ बुतरूवा,मनेंजालेॅ-मनें कुछू सोचै-सोचै छै।मालेॅ खोजै छै लरूवा।पुतों रो माथोॅ करलकै चुम्बनभोगलेॅ छै पुरखा पति,दौड़तें एैलोॅ,पकड़लकोॅ दामन।है तेॅ बूढ़े-पुराने बतैतों।सांझै रोॅ छै है गति।
छोड़ोॅ आबेॅ जा नुनूनैआभरको मारा पौर बुझैतौं,छन-नै करै छै बेटा चुन्नू।छन के भूखें पेट जलैतौं।बाप एैलोॅ बेटा मांगै पानीभूखें जैतेॅ सब्भें दिल्ली बंगाल,देखोॅ आबी रहलोॅ छौं तोरोॅ नानी।अन्नोॅ बिना सब्भेॅ कंगाल।दौड़ी के करलकोॅ कहै छै ‘‘संधि’’ नमन!जमीनों में खटोॅदौड़तें एैलोॅ,पकड़लकोॅ दामन।कि बिगड़लौं मति।
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