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{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
म्हैं
खुद नैं
बीं रूप में
कणा ही कबूल करूं नीं
जीं रूप में
म्हैं हूं -
ईं खातर ही
इण भोडै नैं
जको टोटल ही धोळो हो रैयो है
हफ्तै री हफ्तै
करूं काळो टाळ
</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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म्हैं
खुद नैं
बीं रूप में
कणा ही कबूल करूं नीं
जीं रूप में
म्हैं हूं -
ईं खातर ही
इण भोडै नैं
जको टोटल ही धोळो हो रैयो है
हफ्तै री हफ्तै
करूं काळो टाळ
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