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{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सबद रचावै रास
बधावै आस
कर देवै जड़ नै चेतण
कदै कालिदास
अर तुलसीदास
तो कदै पाणिनि।
अंवेर नै राखौ
काळजै मांय
जीभ सूं ओलै।
</poem>
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|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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सबद रचावै रास
बधावै आस
कर देवै जड़ नै चेतण
कदै कालिदास
अर तुलसीदास
तो कदै पाणिनि।
अंवेर नै राखौ
काळजै मांय
जीभ सूं ओलै।
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