भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पृथ्वी परिहार |अनुवादक= |संग्रह=थ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पृथ्वी परिहार
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
पीळो पोमचो अर बिल्लू आभो
सैतूत रा मूंग पानका
गेंदै रा पुहुप राता
बेटी री भूरी आंख्यां
सुपना जेड़ो थाळ गुलाल
इतरा सारा पक्का रंग
जिणा माथै नीं चढ़ै
दूजो कोई रंग
अरथाऊ होंवती दुनिया में
रंगां रो कोई जोड़ नी
ओ ई ठीक है।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=पृथ्वी परिहार
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
पीळो पोमचो अर बिल्लू आभो
सैतूत रा मूंग पानका
गेंदै रा पुहुप राता
बेटी री भूरी आंख्यां
सुपना जेड़ो थाळ गुलाल
इतरा सारा पक्का रंग
जिणा माथै नीं चढ़ै
दूजो कोई रंग
अरथाऊ होंवती दुनिया में
रंगां रो कोई जोड़ नी
ओ ई ठीक है।
</poem>