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दुःख के पल दो चार हों, सुख के कई हज़ार।
कर देना नववर्ष तू, ऐसा अबकी बार।।
 
समझ न पाया आज तक, हमको कोई साल।
किया नहीं हमने मगर, इसका कभी मलाल।।
 
नए साल तू आएगा, फिर से खाली हाथ।
फिर भी हम देंगे मगर, तेरा जमकर साथ।।
 
साथ मुसव्विर आसमाँ, के हो गई ज़मीन।
बदलेगा मौसम मुझे, है इस बार यक़ीन।।
हम तुलसी रैदास हैं, हैं रसखान कबीर।
नया साल हमसे हुआ, है हर साल अमीर।।
 
चोटिल पनघट हो गए, घायल हैं सब ताल।
अब पानी इस गाँव का, नहीं रहा वाचाल।।
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