भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKRachna
|रचनाकार=मीर तक़ी 'मीर'
}}{{KKAnthologyId}}{{KKCatGhazal}}<poem>सहर गह-ए-ईद में दौर-ए-सुबू थापर अपने जाम में तुझ बिन लहू था
सहर गहजहाँ पुर है फ़साने से हमारेदिमाग़-ए-ईद में दौर-ए-सुबू था<br>पर अपने जाम में तुझ बिन लहू इश्क़ हम को भी कभू था<br><br>
जहाँ पुर है फ़साने से हमारे<br>दिमाग़-ए-इश्क़ हम को भी कभू था<br><br> गुल-ओ-आईना क्या ख़ुर्शीद-ओ-माह क्या<br>जिधर देखा उधर तेरा ही रू था</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,137
edits