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{{KKRachna
|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
}}
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<poem>
आजादी री लडाई मांय
हरेक नै देंवता हा सीख
जमीन सूं जुड़ो
देस खातर भिड़ो
आजादी मिलसी
च्यारूंमेर हरियाळी खिलसी
लोग कूद पड़या मैदान मांय
चुणाव रो लोकतंत्र
लोगां नै नीं दीस्यो मन मांयलो मंतर
होळै-हाळै साम्हीं आयो
लोगां नै नेतावां भरमायो
स्सौ कीं बदळग्यो
सागी रैयो-
जमीन सूं जुड़ाव
इण जुमलै रो अरथ बदळग्यो
जमीन असली जमीन हुयगी
लोगां सूं न्यारी
नेतावां री प्यारी
अबै तो सब राखै
जमीन सूं खाली जुड़ाव
बात सागी
अरथ नूंवा
समरथ नै कांई दोस !
</poem>
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|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
आजादी री लडाई मांय
हरेक नै देंवता हा सीख
जमीन सूं जुड़ो
देस खातर भिड़ो
आजादी मिलसी
च्यारूंमेर हरियाळी खिलसी
लोग कूद पड़या मैदान मांय
चुणाव रो लोकतंत्र
लोगां नै नीं दीस्यो मन मांयलो मंतर
होळै-हाळै साम्हीं आयो
लोगां नै नेतावां भरमायो
स्सौ कीं बदळग्यो
सागी रैयो-
जमीन सूं जुड़ाव
इण जुमलै रो अरथ बदळग्यो
जमीन असली जमीन हुयगी
लोगां सूं न्यारी
नेतावां री प्यारी
अबै तो सब राखै
जमीन सूं खाली जुड़ाव
बात सागी
अरथ नूंवा
समरथ नै कांई दोस !
</poem>