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|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
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|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
आभो
मरै मिजळो
खुद नीं बरसावै
मिनखां रो देखै
अंतस थिर पाणीं!
</poem>
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