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|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
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|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>

आभै में है
जळ रो वास
धोरी पाळै आस
आभै सूं उतरसी
जळ भर्या बादळ
करसी मुरधर नै
जळजळाकार!

धरती री उडीक
पडग़ी मगसी
छोड आभो
नीं ओसर्या
मिजळा बादळ।

आभै में
कुण है तिसायो
किण री भरै बादळिया
अचूक हाजरी
आभै में किण री
सूकै बाजरी!
</poem>
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