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{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
|अनुवादक=
|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
आभो साम्भै
काळ रा परवाना
बो ई टोरै
मुरधर माथै
जूण रो नास
जूण री आस
बिरखा नै
टोर टाळ!
</poem>
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|संग्रह=भोत अंधारो है / ओम पुरोहित ‘कागद’
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आभो साम्भै
काळ रा परवाना
बो ई टोरै
मुरधर माथै
जूण रो नास
जूण री आस
बिरखा नै
टोर टाळ!
</poem>