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|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
सबद तो सबद है
बां रो कांई मोल
हेत
प्रेम
हरख
मुळकणो
अर आगै सरकाणो
फगत सबद इज तो है अै
लोगां नै लागता हुसी चोखा
पण म्हनै तो दाय नीं आवै
फगत
म्हारो दरद ई दाय आवै
बो इज हरखावै
राखै हेत
प्रेम
हरख
अर अजर -अमर मुळक
सबद बेकार
बां मांयलो
दरद ई असरदार ।
</poem>
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