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|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
आवो,
आपां खोलां मन रा किंवाड़
उण मांय सूं निकाळा
जूनी यादां
केई कैयोड़ी
केई बिना कैयोड़ी
आपां खुद ही सुणां
बां नीं कैयोड़ी बातां नै
पाछा खुद ई कैवां खुद नै
केई कारणै
अटकगी ही सरम सूं
जिकी यादां
उणां री बेड़या खोला
आजाद करां
कीं तो सौरी सांस लेवां।
</poem>
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