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औळमौ / दीनदयाल शर्मा

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|संग्रह=रीत अर प्रीत / दीनदयाल शर्मा
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<poem>

बेटी रै ब्याव में
भोज माथै
म्हूं नीं नूंत सक्यौ थानै
पण
थे पधार्या
म्हानै चितरायौ
म्हारी भूल
म्हारै सिर माथै
और भी भौत रैह्ग्या
जिणां नै म्हूं नीं नूंत सक्यौ

म्हूं
सैं सूं मांगूं माफी
पण
म्हारौ औळमौ
किण रै सिर माथै मंढूं
जिणां नै भेजी
काळजै री कोर रै
ब्याव री
कूं-कूं पतरी
घणै लाड कोड साथै
पड़ूत्तर में
अेकाधै री सुभकामनावां सूं ईं
कर राख्यौ है संतोष
डाकधर कैवै
कै बीपी बधावणौ है
तद कर बोकरौ अफसोस।
</poem>
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